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बैंकिंग लाइसेंस के नए दिशानिर्देश रिज़र्व बैंक ने जारी किए.

बैंकिंग लाइसेंस के नए दिशानिर्देश रिज़र्व बैंक ने जारी किए.देश के बड़े कॉरपोरेट घराने और पीएसयू के लिए बैंकिंग कारोबार में उतरने का रास्ता साफ हो गया है। आने वाले दिनों में टाटा, बजाज, रिलायंस जैसे कॉरपोरेट घरानों के बैंक दिखाई दे सकते हैं।

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अब नए बैंकिंग लाइसेंस पाने वाले कॉरपोरेट को अपनी 25 फीसदी शाखाएं ऐसे क्षेत्रों में खोलने होंगी, जहां पर अभी बैंकिंग सेवाएं (10 हजार या उससे ज्यादा की आबादी) नहीं पहुंची हैं। ऐसे में ग्रामीण बाजार में भी निजी बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, जिसका फायदा उन क्षेत्रों के ग्राहकों को मिलने वाला है।

अब शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग लाइसेंस के संबंध में जारी दिशानिर्देश के अनुसार देश में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां नॉन ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी के रूप में और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां बैंकिंग लाइसेंस के लिए शर्तों के आधार पर आवेदन कर सकेंगी। इसके तहत, बैंकिंग कारोबार में उतरने वाली कंपनी को शुरुआती तौर पर न्यूनतम 500 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी रखनी होगी।

अब इसका मतलब यह है कि कॉरपोरेट को बैंकिंग लाइसेंस के लिए नॉन ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी बनानी होगी। जो कि पूरी तरह से प्रमोटर या प्रमोटर समूह के स्वामित्व में होनी चाहिए। नए बैंक में इस कंपनी की 40 फीसदी हिस्सेदारी रखनी होगी, जो पहले पांच साल तक रखना अनिवार्य होगा।

अब उसके बाद फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी की बैंक में हिस्सेदारी 12 साल में घटाकर 15 फीसदी लानी होगी। नॉन ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी में 50 फीसदी स्वतंत्र निदेशक होंगे, जो कि प्रमोटर ग्रुप और उस कंपनी के बड़े ग्राहक और सप्लायर नहीं होने चाहिए।

अब इसी तरह, नए बैंकों को कारोबार शुरू करने के तीन साल के भीतर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना होगा। नए निजी बैंक में कारोबार के पहले पांच साल तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, अनिवासी भारतीयों और विदेशी संस्थागत निवेशकों की कुल हिस्सेदारी 49 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी।

अब मौजूदा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए आरबीआई ने कहा है कि यदि वह लाइसेंस के लिए पात्र होती हैं, तो वह तीन विकल्पों के जरिए बैंक लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगी। पहला यह कि वह एक बैंक को प्रमोट कर सकती हैं। दूसरा, वह अपने आप को बैंक में परिवर्तित कर लें और गैर बैंकिंग ऑपरेशन को समाप्त कर दें। तीसरा, यदि उनके द्वारा किया जा रहा कारोबार बैंकिंग गतिविधियों में आता है, तो वह उसे बैंक के रूप में परिवर्तित कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें भी शुरू में न्यूनतम 500 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी का निवेश करना होगा।